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एलमपुर में बासमती किसान जागरूकता गोष्ठी सम्पन्न

एलमपुर में बासमती किसान जागरूकता गोष्ठी सम्पन्न

रिपोर्टर आकाश कुमार

अलीगढ़ 3 जून 2023 अपनी खुशबू और स्वाद के लिए मशहूर भारतीय बासमती चावल दुनियाभर में खासा पसंद किया जाता है। इस विशेषता को देखते हुए प्रदेश सरकार बासमती चावल के निर्यात पर जोर दे रही है। बासमती चावल का निर्यात होने से धान उत्पादकों को न केवल फसल का लाभकारी मूल्य प्राप्त हो सकेगा, बल्कि देश को विदेशी मुद्रा भी प्राप्त होगी। हमारे अन्नदाताओं के कठिन परिश्रम के बलबूते ही उत्तर प्रदेश को दुनियां में खेती का पावरहाउस कहा जाता है। किसान यदि अपनी उपज को सीधे प्रोसेसिंग मिल में भेजता है तो उसे मण्डी टैक्स नहीं देना होगा।

सरकार की मंशा है कि उपज का बड़ा फायदा किसानों को मिलना चाहिए।

उक्त उद्गार कृषि उत्पादन आयुक्त मनोज कुमार सिंह ने फार्च्यून राइस की ओर से आयोजित बासमती किसान जागरूकता गोष्ठी में व्यक्त किये।

विकासखण्ड चण्डौस के ग्राम एलमपुर में आयोजित गोष्ठी में उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में बासमती चावल का उत्पादन बहुत बड़े क्षेत्र में किया जाता है, परन्तु उत्पादन के अनुपात में हमारा निर्यात कहीं कम है। इसकी वजह जरूरत से कहीं ज्यादा रासायनिक खादों, कीटनाशकों का प्र्रयोग एवं मानक के अनुसार प्रोसेसिंग न होना है। सरकार की कोशिश है कि इन कमियों को दूर करते हुए किसानों को उचित लाभ दिए जाने के साथ ही बासमती चावल के निर्यात को बढ़ाया जाए।

श्री सिंह ने कहा कि प्रदेश के 30 जिलों को बासमती चावल के लिए जीआई टैग मिला हुआ है, परन्तु उत्पादन के सापेक्ष निर्यात का लाभ लेने में हमारे किसान पीछे हैं।

उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा कि निर्यात योग्य बासमती धान को उपजाएं, खेती लागत को कम करें। उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा कि बासमती की जीआई एवं गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए गर्मी का धान न लगाएं।

इधर मण्डलायुक्त नवदीप रिणवा ने कहा कि केन्द्र एवं प्रदेश सरकार किसानों के जीवन स्तर को उठाने एवं आय को दोगुनी करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि हमारे किसान भाईयों को चाहिए कि पर्यावरण एवं जल संरक्षण को ध्यान में रखते हुए मानक के अनुसार फसल उगाकर अधिक से अधिक लाभ कमाएं।

जिलाधिकारी इन्द्र विक्रम सिंह ने बताया गया कि बासमती धान की खेती एक लंबे समय से होती आ रही है। हरित क्रांति के बाद भारत में खाद्यान्न की आत्म निर्भरता, बासमती धान की विश्व में मांग और निर्यात को ध्यान में रखते हुए इस की वैज्ञानिक खेती काफी महत्वपूर्ण हो गई है।

उन्होंने कहा कि ऐसे किसान जो किसान सम्मान निधि के लाभ से वंचित रह गए हैं 10 जून तक शिविर का लाभ उठाते हुए औपचारिकताएं पूर्ण कराएं।

पात्र लाभार्थी आयुष्मान गोल्डन कार्ड बनवा लें।

15 दिन के लिए चल रहे अभियान का लाभ उठाकर अविवादित विरासत के प्रकरणों का निस्तारण करा दें।

आईएआरआई दिनेशक डा0 ए0के0 सिंह ने गोष्ठी को गुड एग्रीकल्चरल पै्रक्टिसिस वर्कशॉप का नाम देते हुए कहा कि यदि हम कीटनाशक दवाइयों को गलत मात्रा, गलत समय व गलत तरीके से उपयोग करेंगे तो उसके दुष्प्रभाव आना लाजमी है। उन्होंने किसानों को खुशखबरी देते हुए कहा कि उनको जल्द ही बासमती की बकाने रोग प्रतिरोधक किस्म की प्रजाति मिलने वाली है।

एपीडा के डा0 रीतेश शर्मा ने बताया कि उत्तर प्रदेश में पूसा बासमती-1 की पैदावार की जाती है। ग्राहक की मांग के अनुरूप हमारा उत्पादन होना चाहिए।

गोष्ठी में निर्यात योग्य बासमती के अंतरराष्ट्रीय मानकों के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी गई। गोष्ठी का मुख्य फोकस निर्यात योग्य बासमती धान की पैदावार को बढ़ाने पर रहा।

विशेषज्ञों द्वारा बताया गया कि बासमती धान की अच्छी पैदावार और उत्तम गुणवत्ता लाने के लिए अच्छी प्रजाति का चुनाव अत्यंत ही महत्वपूर्ण है। गोष्ठी में 15 प्रकार के बासमती धान के बीज शोधन, बीजों का उपचार, पौध तैयार करना, रोपाई की तैयारी, सिंचाई प्रबंधन, रासायनिक एवं जैविक खाद का प्रयोग, गुण, उत्पादन, पकने की विधि एवं बीमारियों व कीटों के प्रभाव एवं नियंत्रण के बारे में भी विस्तार से समझाया गया।

अजय भलोटिया द्वारा बताया गया कि फार्च्यून एग्रो मार्ट विगत 4 वर्ष से 16 किसानों के साथ 10000 एकड़ से अधिक भूमि पर खेती करने के साथ किसानों के धान को उचित दर पर खरीद रहे हैं। फार्च्यून एग्रोमार्ट की अगली योजना 5000 किसानों के साथ 25000 एकड़ भूमि पर किसानों के साथ तीनों फसल पर कार्य करना है। कंपनी द्वारा किसानों को धान का प्रमाणित बीज एवं सुरक्षित कीटनाशक दवाइयां उचित मूल्य पर उपलब्ध कराई जाती है। प्रोजेक्ट से जुड़े किसानों को विषय विशेषज्ञों द्वारा खाद, पानी, कीटनाशक एवं अन्य गतिविधियों के लिए उचित सलाह भी दी जाती है।

फसल उत्पादन के उपरांत बाजार भाव पर धान खरीद के साथ प्रति कुंतल 100 रुपये बोनस भी दिया जाता है। विक्रय की गई फसल का भुगतान 72 घंटे में सीधे बैंक खाते में किया जाता है।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि एपीसी ने मान प्रणम ग्रहण किया इसके उपरान्त मुख्य अतिथि समेत समस्त मंचासीन अतिथियों का पुष्प गुच्छ भेंट कर स्वागत किया गया। गोष्ठी में छात्राओं द्वारा सरस्वती व गणेश वंदना की मंत्रमुग्ध करने वाली प्रस्तुति दी गई। इस अवसर पर सीडीओ आकांक्षा राना, एडीएम प्रशासन पंकज कुमार एसडीएम के0बी0 सिंह, सीओ सुमन कनौजिया, दिनेश कुमार चौधरी, प्रमोद तौमर, जय कुमार गुप्ता, उप निदेशक उद्यान डा0 मुकेश कुमार, उप निदेशक कृषि यशराज सिंह, जिला कृषि अधिकारी अभिनंदन सिंह, डीएचओ डा0 धीरेन्द्र सिंह, डीपीआरओ धनंजय जायसवाल समेत अधिकारी कमर्चारी व भारी संख्या में किसान उपस्थित रहे।

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