ग़ाज़ियाबाद। रविवार को सांसद एवं केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह ने उत्तरांचल और पूर्वांचल समाज के लोगों के बीच गाजियाबाद अपने निवास पर मकर सक्रांति के पावन पर्व को पौराणिक सनातन पद्धति के साथ मनाया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि पौराणिक काल में जब दुनिया के देशों का जन्म तक नहीं हुआ था। तब हमारे ऋषि - मुनियों की खगोलीय वैज्ञानिक गणना इतनी सटीक थी कि उन्होंने इस वैज्ञानिक तथ्य की खोज कर ली थी कि आज के दिन ही पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करते हुए अपने मकर भाग को सूर्य के समक्ष प्रविष्ठ कराती है। जिसे हम भगवान भास्कर के प्रति आदर भाव रखते हुए, सूर्य का मकर राशि में प्रवेश कहते हैं। जबकि सूर्य अपनी जगह स्थिर है और पृथ्वी गतिमान है। इस खगोलीय "संक्रमणीय" घटना क्रम से ही ‘संक्रांति’ शब्द का जन्म हुआ। सूर्य देव के उत्तरायण होने पर भारतवर्ष में उजाले का प्रतीक यह "मकर-सक्रांति" का पावन पर्व आप सबके जीवन को भी प्रकाशमान करे ऐसी मेरी शुभकामनाएं हैं। उत्तरप्रदेश में ‘संकरात’, बिहार-पूर्वी उत्तरप्रदेश में ‘खिचड़ी’, तथा उत्तराखंड में हम इसे उतरेणी - मकरेणी त्यौहार के नाम से मनाते हैंl उन्होंने बताया कि मूलतः यह त्योहार प्रकृति में आए परिवर्तन का स्वागत और प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करने का उल्हास है। जिससे मनुष्य भी अपने भीतर प्रकृति की भाँति ओज, उत्साह और उमंग को महसूस करता है। इस अवसर पर उन्होंने उपस्थित लोगों को खिचड़ी, दही चूड़ा और तिल के लड्डू आदि व्यंजन खिलाएl खिचड़ी त्यौहार के इस पर्व पर उन्होंने सबके साथ बैठकर खिचड़ी खाई और विशेष बात यह रही कि पतंग भी उड़ाई।
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