अलीगढ़/ जनपद प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि किसी व्यक्ति की हिस्ट्रीशीट खोलने से पहले उसे अपनी आपत्ति दायर करने का एक मौका  अवश्यदिया जाना चाहिए। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि हिस्ट्रीशीट खोलने से पहले आरोपी को आपत्ति दर्ज करने के लिए एक मौका देने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए जाएं। कोर्ट ने यह टिप्पणी करते हुए पुलिस उपायुक्त गौतम बौद्ध नगर द्वारा हिस्ट्रीशीट खोलने के आदेश को रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा कि औपनिवेशिक शासकों द्वारा भारतीयों के खिलाफ बनाए गए हिस्ट्रीशीट के नियम प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करते थे, और अब यह अनिवार्य है कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन किया जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ और न्यायमूर्ति सुभाष चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने फिरोज मलिक, साजिद मलिक, इमरान मलिक और निजाम मलिक की याचिकाओं को स्वीकार करते हुए दिया। परंतु याचियों के खिलाफ पुलिस उपायुक्त ने 16 जून 2021 को हिस्ट्रीशीट खोलने का आदेश दिया था, जिसे याचियों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी हैं थी।

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